अप्रैल फूल के बारे में रोचक तथ्य
१ अप्रैल अर्थात मुर्ख दिवस , जिसे अधिकतर अप्रैल फुल डे के नाम से जाना जाता है । अप्रैल फुल डे के दिन लोग अपनी योग्यता परखने की पुरजोर कोशिश करते है कि कैसे किसी को मुर्ख बनाया जाये, क्योंकि इससे दो काम हो जाते है , पहला कि इस बहाने हँसी खुशी समय गुजारने का काम भी हो जाता है, व दूसरा अपनी योग्यता परखने का की कैसे हम किसी को मुर्ख बना सकते है । आजकल वही इन्सान बुद्दीमान मान माना जाता है जो दुसरो को आसानी से मुर्ख बनाकर अपना पल्लू सीधा कर सके । आज के युग में कौन झूठ बोल रहा है और कौन सच ? यह परखना बहुत ही मुश्कील हो जाता है । झूठ सच लगता है और सच झूठ तो आइये मित्रो जानते है अप्रैल फूल डे के बारे में......
* यूरोप देशों में पुराने समय में 1 अप्रैल के दिन हर मालिक नौकर की
भूमिका अदा करता और नौकर मालिक का बनकर हुकुम चलाता था। नौकर बने मालिक को
उसका हर आदेश का पूरा करना पड़ता था। वह मालिक बने नौकर के लिए खाना बनाता,
कपड़े धोता, और उसके बताए अन्य सभी कार्य विनम्रता पूर्वक करता था।
* ऐसा माना जाता है की अप्रैल फूल डे का सबसे पहले जिक्र 1392 में ब्रिटिश
लेखक चॉसर की किताब कैंटरबरी टेल्स में मिलता है. इस किताब की एक कहानी
नन्स प्रीस्ट्स टेल के अनुसार इंग्लैण्ड के राजा रिचर्ड II और बोहेमिया की
रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च घोषित कर दी गई जिसे वहां की जनता ने
सच मान लिया और मुर्ख बन बैठे. तब से 32 मार्च” यानी 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाया जाता है ।
* इतिहास में 1860 की 1 अप्रैल खासी मशहूर रही है। लंदन में हजारों
लोगों के पास डाक कार्ड से पोस्ट कार्ड द्वारा एक सूचना पहुंची कि आज शाम
टॉवर ऑफ लंदन में सफेद गधों के स्नान का कार्यक्रम होगा। देखने के लिए आप
आमंत्रित हैं। कृपया साथ में कार्ड अवश्य लाएं।
* ज्ञातग्य उस समय टॉवर ऑफ लंदन में आम जनता का प्रवेश वर्जित था। शाम होते
टावर के आसपास हजारों लोगों की भीड़ जमा होने लगी और अंदर प्रवेश के लिए
धक्का-मुक्की होने लगा लगी। लोगों को जब पता चला कि उन्हें मूर्ख बनाया गया
है तो वह नाराज होकर अपने घर लौट गए।
* एक और कहानी के अनुसार प्राचीन यूरोप में नया साल हर वर्ष 1 अप्रैल को
मनाया जाता था. 1582 में Pope Gregory XIII ने नया कैलेंडर अपनाने के
निर्देश दिए जिसमे न्यू ईयर को 1 जनवरी से मनाने के लिए कहा गया । रोम के
ज्यादातर लोगो ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया लेकिन बहुत से लोग तब भी 1
अप्रैल को ही नय साल के रूप में मानते थे. तब ऐसे लोगो को मूर्ख समझकर उनका
मजाक बनाया जाता था. ऐसा माना जाता है की यूरोप में अप्रैल फूल तब से
मनाया जाता है ।
* प्राचीन काल में चीन में 'डींग दिवस' मनाया जाता था। इस दिन चीनी
लोग लंबी-लंबी डींगे मारते थे। चीन के यांगसी प्रांत में प्रतिवर्ष नदी
देवता का विवाह एक कुंवारी कन्या से होता था। कन्या को पकवान आदि खिला कर
उसका साज-श्रृंगार करके लड़की को एक तख्ते को सुहाग सेज बना कर उस पर
लिटाया जाता दिया जाता था और उस तख्ते को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता
था। जो कन्या सहित नदी में डूब जाता था। यह क्रूरता का परिचायक था।
* थाईलैंड जिसे प्राचीन काल में स्याम कहा जाता था में कुलसिका का नामक
मूर्खों का मेला हर्ष वर्ष आयोजित होता था, जिसमें फिनीशिया, पार्थिया,
इस्राइल, लीबिया, आदि देशों के लोग भाग लेते थे। इसमें एडोनिस देवता की
मृत्यु एवं उसके पुनर्जन्म के उपलक्ष में एक महोत्सव होता था। उत्सव का
प्रथम दौर देवता की मृत्यु के रूप में होता था इस समय बहुत सी स्त्रियां
विलाप करती हुई अपना मुंडन तक करवा लेती थीं। पुरुष रोते गाते एक दूसरे पर
चप्पल चलाने लगते थे। फिर देवता का पुनर्जन्म होता था। देवता की नंगी
मूर्ति का जुलूस लेकर हल्ला मचाते लोग घूमते थे।
* फ्रांस के नारमेडी मे 1 अप्रैल को एक अनोखा जुलूस निकलता था, जिसमें
एक घोड़ा गाड़ी में सबसे मोटे आदमी को बैठाकर सारे शहर में घुमाया जाता
ताकि उसे देखते ही लोग खिल खिलाकर हंस पड़े और फिर नाचते गाने लगे।
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